tag:blogger.com,1999:blog-8255463188292338171.post7377896435657682927..comments2023-07-16T18:48:59.023+05:30Comments on काव्यकृति: बचपन की यादेंUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8255463188292338171.post-1698113503965770712009-04-16T18:09:00.000+05:302009-04-16T18:09:00.000+05:30बचपन के दिन भी क्या दिन थे
उड़ते फिरते तितली की तर...बचपन के दिन भी क्या दिन थे<br />उड़ते फिरते तितली की तरह.....<br /><br />नानी का गाँव । जन्म भी ननिहाल में ही हुआ । पढ़ाई भी वही हुई । भैस भी चराई ।खूब मट्ठा भी पिया । मीठे की भेली चुराई । डंडें भी खाया । खूब दोस्त भी बनाए । सब के सब लफंगें। लफंगों की लिस्ट में नंबर वन भी आया । जिंदगी के सुनहले दिन ननिहाल में ही बीतें । आज फ़िर नानी का गाँव याद आया ....mark raihttps://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.com