चलता है और चलता रहेगा
पहचान वक्त की तेज़ दौड़ को
वरना पीछे रह जाएगा,
कहते हो के है वक्त तुम्हारी मुट्ठी में
फिसलेगा रेत जैसा और कुछ न रह जाएगा
वक्त की मार से कोई नही बच पाया
संभल जा वरना बाद में पछतायेगा
( एक प्रयास किया है बहुत दिनों बाद ...आप की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है )
sahi likha hai..wakt ki maar se koi anhi bach pata...samay rahte hi sambhal hoga...
ReplyDeleteसचमुच बहुत दिनों के बाद कुछ लिखा है आपने.सुन्दर रचना.
ReplyDeletebilkul yatharth ....wakt ko wakt rahte hi pahchan le to behtar hoga
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