बच्चन साहब की ये कविता बहुत ही प्रेरणादायी है ....और हमेशा ही मेरी प्रेरणाश्रोत रही है ....
लहरों से डर कर नौका पार नही होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना गिर कर चढ़ना न अखरता है
मेहनत उसकी बेकार हर बार नही
होती कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती
डुबकियां सिन्धु में गोताखोर लगाता है
जा कर खाली हाथ लौट कर आता है
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में
मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नही
कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जय जय कार नही
होती कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती
बधाई सुन्दर रचना पढवाने के लिये.
ReplyDeleteSundar rachna hai ...... sangharsh ko prerit karti hai ...
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