अलग अलग टिपण्णी देने के बजाय सामूहिक टिपण्णी दे रहा हूँ ... काहिली के लिए माफ़ी छत्ता हूँ :
- रंजना जी आपकी कवितायें वाकई बहुत अच्छी हैं.... पता नही मैं ऐसा कब लिख पाऊंगा?
- अजित जी की रचनाएँ तो हमेशा की तरह जानकारी से परिपूर्ण होती हैं ।
- कुश जी, मार्क जी आप की रचनाएँ भी बहुत सुंदर बन पड़ी हैं
- दिगंबर जी आपकी कविताओं और ग़ज़लों पर टिपण्णी करने की मेरी सामर्थ्य नही है ... बस एक ही शब्द है ... अभूतपूर्व
- कंचन जी कश्मीर की वादियों में घूमती आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी
- अनिल जी हर बार की तरह इस बार भी आप छा गए ....
एक बार फ़िर अपनी काहिली के लिए क्षमा चाहता हूँ ...
grouping comment ek new idea hai...thanks
ReplyDeleteअच्छी शुरुआत है........... आप भी अच्छा लिखते हैं, अपनी भावनाओं को कागज़ पर उतारेंगे तो और भी अच्छा लगेगा
ReplyDeletethank Gaurav ji
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