Wednesday, August 19, 2009

भूलना चाहता हूँ



भूलना चाहता हूँ .....

वो सब बातें

जो तुम्हारी याद दिलाती हैं ,

दिल के किसी कोने से निकल कर

चुपके से सामने आ जाती हैं,

कितनी बार इन से

बच कर निकलना चाहा

जाने कितने तरीके से अपना दामन बचाया

पर तुम्हारी यादें

हर बार टकरा जाती हैं हमसे

और सामने आ जाते हैं

जाने कितने हसीं पल

कितनी कही अनकही बातें

काश तुम भी यादों की तरह होती

बंद करता जो अपनी आखें

तो मेरे सामने तुम होती .......
काश ऐसा होता ..............





1 comment:

  1. Gaurav ji, bahot shukriya mera blog follow karne ke liye. Maine aapki likhi hui kuch ek kavitayen padhin mujhe achi lagin! Likhte rahiye!

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