Saturday, August 29, 2009

सन्नाटा

कभी अंधेरे में छुपे उजाले को महसूस किया है ? शोर में छुपे सन्नाटे और संगीत में छुपी शान्ति को ?
शायद इसी अनुभव को बोध कहते हैं, जब हमें अपने भीतर छुपे सत्य का आभास होता है शायद यही आभास एक प्रेमी को प्रेम करने में भी होता है जब आप अनकही बातों को भी सुन लेते हैं और हवाओं में भी संगीत सुनाई देता है.... जब साथी में कोई दोष नही दीखता है ... शायद इसी लिए प्रेम को ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताया गया है राधा और मीरा दोनों के प्रेम अवस्था में भले ही अन्तर हो पर दोनों का लक्ष्य तो एक ही था प्रेम की परिभाषा भले ही बदल जाए पर भाव वही रहता है








3 comments:

  1. BAHOOT HI SOOKSHM TARIKE SE AAPNE BHAAV AUR BODH HO SAMJHAAYA HAI ..... PREM SACH MEIN EK BHAAV HAI JO KABHI NAHI BADALTA ..... SOOKSHM STAR PAR PARIBHAASHA GOUN HO JAATI HAI ....
    SUNDAR LIKHA HAI AAPNE .....

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  2. Dhanyavaad Digambar ji..aapki tippani padhkar bahut khushi hui.

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  3. सन्नाटे जब चींखते हैं ,तो असहनीय हो जाता है ..

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