अब लम्बी उमर का वरदान
लगता है जैसे कोई श्राप हो
लपेट लिया है स्याह चादर में
जैसे रौशनी कोई अभिशाप हो ,
अब मुझे जीने को मत कहना
मृत्यु को जीवन संगिनी बनाया है
अब तो उसके साथ ही प्रेम लगाया है
विष का ये प्याला,
छलकी हैं कुछ बूंदे जिस से
अब और बूंदे छलक कर
न मिल जाए कहीं धूल में
इसलिए प्याले को अपने होठों से लगाया है
Saturday, September 12, 2009
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हाँ सच है ..सहेत अच्छी हो ...यही वरदान है ..! साथ, साथ कर्म और क़िस्मत...क़िस्मत वाले ही जीवन में सही संग पाते हैं..!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
jisne mrityu ko sangini bana liya use kya chintaa .....jeevan achha hona chaahiye ... lamba ya chota to oopar waale ke haath mein hai ......
ReplyDeleteShukriya ........ apne khyal hum tak pahunchane ke liye......
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